'पद्मावत'मधील दमदार डायलॉग; पाहा राजपूतांची आन-बान-शान

By ऑनलाइन लोकमत | Published: January 25, 2018 05:05 PM2018-01-25T17:05:51+5:302018-01-25T17:12:50+5:30

इतिहास अपने पन्ने तो बदल सकता है पर राजपूतों के उसूल नहीं।

तू चित्तौड़ तो हमसे छीन सकता है, लेकिन हमारा गुरूर नहीं। हीरा तो हमसे छीन सकता है पर उसकी चमक नहीं।

चिंता को तलवार की नोंक पर रखे वो राजपूत, रेत के नांव लेकर समंदर से शर्त लगाए वो राजपूत और जिसका सिर कट जाए और धड़ दुश्मन से लड़ता रहे वो राजपूत।

ये ताज भी बड़ा बेवफा है। हमेशा सिर बदलता रहता है।

खिलजियों के लिए खुदा से भी लड़ सकता है अलाउद्दीन।

जिसकी मिट्टी में ही मिलावट हो उसे मिट्टी से अलग कर देना चाहिए। ​

सरहदें बहुत फैला ली, अब बाहें फैला लें। एक जंग हुस्न के नाम।

इस वक्त तेरा शनि और मंगल वक्र है और उस पर राघव चेतन का चक्र है।

जब राजपूत अपनी मिट्टी और मान के लिए लड़ता है, उसकी तलवार की गूंज सदियों तक रहती है। राजपूती कंगन में उतनी ही ताकत है जितनी राजपूती तलवार में है।

ये जंग तो उसलों से लड़ ली होती। हर जंग का केवल एक ही उसूल है-जीत