Reshim Market : कमी खर्चात अधिक उत्पादन देणारी रेशीम शेती आता शेतकऱ्यांसाठी अतिशय फायदेशीर पर्याय ठरत असून, रेशीम कोषाचा भाव तब्बल ७० हजार रुपये प्रति क्विंटल या विक्रमी दरावर पोहोचला आहे. (Reshim Market)
मराठवाड्यात विशेषतः नांदेड जिल्ह्यात रेशीम शेतीचा वेगाने विस्तार होत असून, जिल्ह्यातील ६३७ शेतकऱ्यांनी ६६९ एकरांवर रेशीम शेतीचा स्वीकार केला आहे.(Reshim Market)
रेशीम शेतीला मिळत आहे अभूतपूर्व प्रतिसाद
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार हमी योजना (M) आणि पोखरा योजनेअंतर्गत केंद्र शासनाने रेशीम शेती उद्योगाला चालना दिली असून, तुती लागवड व कीटक संगोपनासाठी मोठ्या प्रमाणात अनुदान देण्यात येत आहे. त्यामुळे रेशीम शेतीकडे शेतकऱ्यांचा ओढा वाढत चालला आहे.
नांदेड जिल्ह्यात हवामान रेशीम उद्योगासाठी अत्यंत अनुकूल असल्याने शेतकरी एकरी १.५ ते २ लाख रुपयांपर्यंत उत्पन्न मिळवताना दिसत आहेत. तंत्रज्ञानाच्या वापरामुळे उत्पादनामध्ये सातत्य व गुणवत्ता वाढली असून कोषाला मिळणारा दरही सोनेरी ठरत आहे.
तलुकावार तुती लागवड (जुनी लागवड – ३१ एप्रिल २०२५ पर्यंत)
| तालुका | शेतकरी संख्या | लागवड क्षेत्र |
|---|---|---|
| अर्धापूर | ४ | ४ एकर |
| भोकर | ५ | ५ एकर |
| बिलोली | ३ | ३ एकर |
| देगलूर | १ | ४ एकर |
| धर्माबाद | ६ | ६ एकर |
| हदगाव | ३५ | ३६ एकर |
| हिमायतनगर | ७ | ७ एकर |
| कंधार | २४ | २७ एकर |
| किनवट | १३ | १३ एकर |
| लोहा | १५३ | १५३ एकर |
| मुदखेड | ४ | ४ एकर |
| मुखेड | ६ | ६ एकर |
| नायगाव | ५४ | ५४ एकर |
| नांदेड | ७९ | ९६ एकर |
| उमरी | १६ | १६ एकर |
नवीन तुती लागवड (१७ नोव्हेंबर २०२५ पर्यंत)
| तालुका | शेतकरी संख्या | लागवड क्षेत्र |
|---|---|---|
| अर्धापूर | ४ | ४ एकर |
| भोकर | ५ | ५ एकर |
| बिलोली | ३ | ३ एकर |
| देगलूर | १ | ४ एकर |
| धर्माबाद | ६ | ६ एकर |
| हदगाव | ३५ | ३६ एकर |
| हिमायतनगर | ७ | ७ एकर |
| कंधार | २४ | २७ एकर |
| किनवट | १३ | १३ एकर |
| लोहा | १५३ | १५३ एकर |
| मुदखेड | ४ | ४ एकर |
| मुखेड | ६ | ६ एकर |
| नायगाव | ५४ | ५४ एकर |
| नांदेड | ७९ | ९६ एकर |
| उमरी | १६ | १६ एकर |
अनुदानाचा शेतकऱ्यांना मोठा फायदा
मनरेगा अंतर्गत अनुदान (३ वर्षे)
तुती लागवड – २ लाख ३४ हजार ५५४ रु.
कीटक संगोपन गृह – १ लाख ८४ हजार २६१ रु.
एकूण : ४ लाख १८ हजार ८१५ रु. अनुदान
सिल्क समग्र–२ योजना
तुती लागवड : ४५,००० रु.
संगोपन गृह : २ लाख ४३ हजार ७५० रु.
कीटक संगोपन साहित्य : ३७ हजार ५०० रु.
सिंचन : ४५,००० रु.
जंतुनाशक औषध : ३ हजार ७५० रु.
तुती लागवडीसाठी आवश्यक कागदपत्रे
७/१२ उतारा
८अ होल्डिंग
पाणी प्रमाणपत्र
आधार कार्ड
पॅन कार्ड
जॉब कार्ड (मनरेगा)
शेतकऱ्यांनी रेशीम उद्योगाकडे वळावे
रेशीम शेती हा कमी खर्चात, कमी पाण्यात आणि व्यवस्थित संगोपनाने अधिक उत्पन्न देणारा अत्यंत फायदेशीर व्यवसाय आहे. अनेक शेतकरी रेशीम शेती करून पारंपरिक पिकांपेक्षा ३–४ पटीने अधिक उत्पन्न घेत आहेत.- पुंडलिक नरवाडे, रेशीम विकास अधिकारी
Web Summary : Silk farming in Nanded district is booming, offering lucrative returns. Farmers are earning significant income due to high cocoon prices, reaching ₹70,000 per quintal. Government subsidies under MNREGA and Pokhra are driving increased adoption and profitability.
Web Summary : नांदेड़ जिले में रेशम की खेती फलफूल रही है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। रेशम के कोकून की ऊंची कीमतों के कारण किसानों को अच्छी आय हो रही है, जो ₹70,000 प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। मनरेगा और पोखरा के तहत सरकारी सब्सिडी से इसे बढ़ावा मिल रहा है।